मैंने अपनी कार निकाली और कार लेकर अभी सड़क पर आई ही थी कि उमेश का फोन आया. वो बोला- भाभी, मैं आपको साथ ले लूं? मैंने कहा- मैं कार से निकली हूं. आप कहां हो? वो बोला- बस आपके घर के पास पहुंचा हूं. मैंने कहा- ओके आप आ जाओ … मैं यहीं रुकी हूं. वो ओके बोल कर 5 मिनट में आ गया. वो भी नीली शर्ट और पैंट में था. जैसे ही वो बैठा, मुझे देख कर उसका मुँह खुला का खुला रह गया. मैंने एक हल्की सी स्माइल दी और कार आगे बढ़ा दी. वो बार बार मेरे बूब्स को देख रहा था. मैंने अपनी जीभ निकाल कर अपने होंठ को टच किए बिना अश्लील भाव से घुमाते हुए उसकी तरफ देखा. वो एकदम से गनगना गया. उसने अपनी पैंट के अन्दर जेब में हाथ डाल लिया. वो शायद अपने लंड को चड्डी से बाहर करके उसे एडजस्ट कर रहा था. तभी उसके होंठ हिले और वो धीरे से बुदबुदाया- क्या माल है! मैंने कहा- क्या? वो सकपका गया और जल्दी से बात बनाते हुए बोला- नया माल खुलने वाला था भाभी, मैं उसके बारे में बोल रहा था. मैं बोली- अच्छा … उसका यूज अच्छे से करना देवर जी. इस पर वो अचानक से बोला- भाभी, खाली जगह देख कर थोड़ा कार रोक लेना. मैंने सुनसान देख कर साइड में कार लगा दी. वो उतर कर पीछे को चला गया. मैं साइड मिरर से देखने लगी. वो वहां पर वो अपने पैंट की जिप खोल कर लंड निकाल कर मूतने लगा. मैं साइड मिरर को एडजस्ट करके देखने लगी थी जिससे उसका लंड साफ दिख रहा था. उसका लंड मेरे पति के लंड से पतला था पर लंबा ज्यादा था. मुझे लंड देख कर कामवासना ने घेर लिया. मैंने अपनी चोली की चैन थोड़ी नीचे को सरका दी जिससे मेरे बूब्स और ज्यादा दिखने लगे. वो एक हाथ से लंड पकड़े हुए था और दूसरे हाथ से फोन पर किसी से बात कर रहा था. फिर वो कार में आकर बैठ गया. मैंने देखा कि साले ने अपनी पैंट की चैन नहीं लगाई थी. हम चलने लगे. अब वो मेरे खुले मम्मों को और ज्यादा कामुक निगाहों से देख रहा था. मैंने कहा- तुमने अपनी चैन बंद नहीं की. वो एकदम से ओह कहते हुए अपनी चैन को बंद करने लगा. वो मेरे दूध देखता हुआ मुझसे बोला- राज किस्मत वाला है. मैं हंस दी.
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